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Durga Chalisa with hindi Lyrics I DURGA CHALISA DURGA KAWACH

Durga Chalisa with Hindi Lyrics By Anuradha Paudwal 


Durga Chalisa with Hindi Lyrics By Anuradha Paudwal
Singer ANURADHA PAUDWAL
Composer DURGA PRASAD
Music T-Series Music
Song WriterTraditional

Lyrics

नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।

नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।

तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥



शशि ललाट मुख महाविशाला ।

नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥



रूप मातु को अधिक सुहावे ।

दरश करत जन अति सुख पावे ॥ ४



तुम संसार शक्ति लै कीना ।

पालन हेतु अन्न धन दीना ॥



अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।

तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥



प्रलयकाल सब नाशन हारी ।

तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥



शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।

ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥ ८



रूप सरस्वती को तुम धारा ।

दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥



धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।

परगट भई फाड़कर खम्बा ॥



रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।

हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥



लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।

श्री नारायण अंग समाहीं ॥ १२



क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।

दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥



हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।

महिमा अमित न जात बखानी ॥



मातंगी अरु धूमावति माता ।

भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥



श्री भैरव तारा जग तारिणी ।

छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ १६



केहरि वाहन सोह भवानी ।

लांगुर वीर चलत अगवानी ॥



कर में खप्पर खड्ग विराजै ।

जाको देख काल डर भाजै ॥



सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।

जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥



नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।

तिहुँलोक में डंका बाजत ॥ २०



शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।

रक्तबीज शंखन संहारे ॥



महिषासुर नृप अति अभिमानी ।

जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥



रूप कराल कालिका धारा ।

सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥



परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।

भई सहाय मातु तुम तब तब ॥ २४



अमरपुरी अरु बासव लोका ।

तब महिमा सब रहें अशोका ॥



ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।

तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥



प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।

दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥



ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।

जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥ २८



जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।

योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥



शंकर आचारज तप कीनो ।

काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥



निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।

काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥



शक्ति रूप का मरम न पायो ।

शक्ति गई तब मन पछितायो ॥ ३२



शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।

जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥



भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।

दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥



मोको मातु कष्ट अति घेरो ।

तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥



आशा तृष्णा निपट सतावें ।

मोह मदादिक सब बिनशावें ॥ ३६



शत्रु नाश कीजै महारानी ।

सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥



करो कृपा हे मातु दयाला ।

ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥



जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।

तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥



श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।

सब सुख भोग परमपद पावै ॥ ४०



देवीदास शरण निज जानी ।

कहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥



॥दोहा॥

शरणागत रक्षा करे,

भक्त रहे नि:शंक ।

मैं आया तेरी शरण में,

मातु लिजिये अंक ॥

॥ इति श्री दुर्गा चालीसा ॥




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